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बच्चों की समझ में नहीं आ रही ऑनलाइन पढ़ाई

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अभिभावकों की परेशानी- रोजगार चल नहीं रहा, कहां से खरीदें स्मार्ट फोन, कैसे करें रिचार्ज
शिक्षक बोले- वीडियो अपलोड करने में लगते हैं घंटों, छात्र बोले- नेटवर्क न मिलने पर टूट जाता है लिंक
लखीमपुर खीरी। कोरोना के कारण पिछले डेढ़ साल से स्कूल-कॉलेज बंद हैं। शासन के निर्देश पर बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है।
यहां परेशानी यह है कि अधिकांश अभिभावकों के पास स्मार्ट फोन नहीं हैं। उनका कहना है कि रोजगार चल नहीं रहा कैसे महंगा फोन खरीदें। वहीं शिक्षकों का कहना है कि किसी विषय का वीडियो अपलोड करने में ही घंटों लग जाते हैं। छात्रों का कहना है कि नेटवर्क टूटने से लिंक टूट जाता है, जिससे वापस ग्रुप में जाने में परेशानी होती है। इसके अलाला ज्यादा देर मोबाइल देखने में सर में भी दर्द होने लगता है। यहां बता दें कि जिले के 329 स्कूलों में दो लाख बीस हजार बच्चे पंजीकृत हैं, जिसमें 186931 की ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है।

राजकीय विद्यालय- 49
सहायता प्राप्त विद्यालय- 45
वित्तविहीन विद्यालय- 193
सीबीएसई से संबद्घ विद्यालय- 40
सीआईएससी से संबंध विद्यालय- सात
पंजीकृत छात्र- 220000
ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े छात्र- 186931
व्हाट्सएप ग्रुपों की संख्या- 1761

अनुमानित छात्र संख्या
परिषदीय विद्यालय-3850
छात्र संख्या- 5,50,000

टीवी और मोबाइल बच्चों के लिए ज्यादा नुकसानदेह
टीवी, मोबाइल अधिक देखना बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। स्कूल में पढ़ाई के साथ बच्चे अन्य एक्टिविटी भी करते हैं। घर पर लंबा समय बिताने से बच्चों में चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, गुस्सा करना, डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। - डॉ. अशोक बिहारी सिंह, बाल रोग विशेषज्ञ, गोला सीएचसी


ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जिले के 329 विद्यालयों में 1761 ग्रुप बने हैं। इससे 186931 बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है, जबकि इन स्कूलों में छात्रों की संख्या करीब 220000 है। - डॉ. ओपी त्रिपाठी डीआईओएस, लखीमपुर खीरी

पति की मौत से घर की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई। बड़ा बेटा घर का खर्च उठाता है। मगर कोरोना के कारण उसका भी कम बंद है। छोटा बेटा 9वीं में पढ़ता है। मोबाइल लेने के लिए पैसे भी नहीं हैं। - अनीता शर्मा, अभिभावक मितौली

जब स्कूल बंद है तो ऑनलाइन पढ़ाई ही एक विकल्प है। मगर इसमें अच्छी तरह से समझ में नहीं आता। वहीं सबसे ज्यादा दिक्कत नेटवर्क की है। इसलिए समझना मुश्किल हो जाता है। - शोभित मिश्रा छात्र, लखीमपुर

स्कूल-कॉलेज बंद होने से मुश्किलें बढ़ गई हैं। बच्चों को पढ़ाई के लिए मोबाइल लेकर देने पड़े। अब हर माह रिचार्ज का अलग खर्च। ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों की आंखों पर भी असर पड़ रहा है। - विनीत श्रीवास्तव, अभिभावक लखीमपुर

बेटा राजा लोने सिंह इंटर कॉलेज में कक्षा नौ का छात्र है। आर्थिक स्थिति ठीक न होने से एंड्रायड मोबाइल नहीं ले पाए। इसलिए उसकी पढ़ाई नहीं हो पा रही है। - कबीर अहमद, अभिभावक मितौली

बेटी सरकारी स्कूल में कक्षा सात में पढ़ती है। मगर स्मार्ट फोन न होने की वजह से बेटी ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हैं। कारोना ने सब चौपट कर दरिया। - अरुण सिंह, अभिभावक मोहम्मदी

ऑनलाइन क्लास चल रही हैं। नेटवर्क की समस्या के कारण पढ़ाई में दिक्कत होती है। नेटवर्क धीमी होने से वीडियो रुक रुक कर चलता है। ऐसे में बहुत कुछ छूट जाता है। - अल्फिशा सिद्दीकी, छात्रा मितौली

पिछले 10 दिन से रिचार्ज न होने से ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हूं। ऑनलाइन पढ़ाई में कुछ समझ भी नहीं आता था। ऑफलाइन पढ़ाई ज्यादा अच्छी थी। समझ में तो आता था। - अर्शलान, छात्र मितौली

ऑनलाइन पढ़ाई तो चल रही है, लेकिन एंड्रायड फोन न होने के कारण पढ़ाई नहीं कर पा रहा है। अब स्कूल खुलने का इंतजार है, जिससे हम भी विधिवत पढ़ाई कर सकें। - नितबिन विश्वकर्मा, छात्र संसारपुर

क्लास में आकर पढ़ाई करने से बच्चे किताबी ज्ञान के अलावा भी बहुत कुछ सीखते हैं। बच्चों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए शासन को शीघ्र स्कूल खोलने की अनुमति प्रदान करनी चाहिए। - विमलेश मिश्र, शिक्षक गोला

महामारी के इन दो वर्षों में बच्चों की शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ा है। बेसिक शिक्षा का स्तर बिल्कुल धरातल पर आ गया है। खासकर छोटे बच्चों को दोबारा पढ़ाई की ओर मोड़ना शिक्षकों के लिए चुनौतीपूर्ण काम होगा। - अरविंद श्रीवास्तव, शिक्षक गोला

महामारी काल में स्कूल बंद होने से विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है। दो वर्षों में बिगड़ी हुई शिक्षण व्यवस्था एवं बच्चों की पढ़ाई ढर्रे पर लाने में शिक्षकों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। - आलोक तिवारी, शिक्षक गोला