-->

पसगंवा बवाल : मामला जब तूल पकड़ गया तो जागा प्रशासन

दिन में अधिकारियों ने फोन तक नहीं उठाया, पुलिस के सामने महिलाओं से होती रही अभद्रता

लखीमपुर खीरी। पसगवां मामले में सपा प्रत्याशी और उनकी प्रस्तावक से बदसलूकी का मामला जब तूल पकड़ तो प्रशासन हरकत में आया। घटना के दूसरे दिन सीओ और इंस्पेक्टर समेत छह पुलिस कर्मियों के निलंबित किया गया।
बृहस्पतिवार को जब पसगवां में महिला प्रत्याशी रितु सिंह और उनकी प्रस्तावक के साथ लोग अभद्रता कर रहे थे तो मौके पर मौजूद पुलिस शांत थी। पुलिस का यह रवैया घोर लापरवाही भरा और शर्मसार करने वाला था। यहां गौरतलब यह भी है कि घटना स्थल के पास में भाजपा सांसद और विधायक की भी मौजूदगी थी। मामले से जुड़े वीडियो वायरल होने के बाद जब मुद्दा गर्मा गया और योगी सरकार की किरकिरी होने लगी, तब सरकार हरकत में आई और एसपी को मामले में कार्रवाई के आदेश दिए। इससे पहले शाम तक न तो एसपी विजय ढुल ने फोन उठाया और न ही एएसपी अरुण कुमार सिंह ने। इस मामले में जब डीएम डॉ. अरविंद चौरसिया से फोन कर जानकारी लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि अभी उनके पास कोई लिखित सूचना नहीं।

शुक्रवार शाम पौने पांच बजे एसपी विजय ढुल ने एक वीडियो बाइट जारी की, जिसमें उन्होंने बताया कि मामले में सुसंगत धाराओं में केस दर्ज कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

सीओ को किया गया इशारा

सीओ मोहम्मदी रहे अभय प्रताप मल्ल बृहस्पतिवार को घटनाक्रम के दौरान पसगवां में ही थे। सूत्र बताते हैं कि भाजपा सांसद रेखा वर्मा ने ही उनसे कहा कि वह अनावश्यक सख्ती बरत रहे हैं। घटना स्थल पर मौजूद सपा नेता क्रांति सिंह ने भी आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी भाजपा नेताओं की शह पर ही काम कर रहे थे। पसगवां कांड के दौरान सिर्फ सीओ ने उनकी मदद की। बाकी कोई दरोगा या सिपाही बचाने नहीं आया। सीओ और तहसीलदार के अलावा सब सत्ता पक्ष के साथ खड़े थे।