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Lakhimpur Kheri : कई घंटे हुई मूसलाधार बारिश से पलिया, निघासन और धौरहरा में बाढ़ का खतरा

पहाड़ों पर अत्यधिक बारिश से तराई में कहर मचाएगी बाढ़ रूपी आफत
प्रशासन का दावा, बाढ़ की विभीषिका से निपटने की तैयारी है पूरी
लखीमपुर खीरी। मानसून सक्रिय होने के साथ ही मूसलाधार बारिश की शुरुआत हो गई है, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है। इससे तराई क्षेत्र की तीन तहसीलों, पलिया, निघासन, धौरहरा में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। वहीं पहाड़ों पर होने वाली अत्यधिक बारिश भी तराई क्षेत्र में तबाही मचाती है, जिसका असर दो-चार दिनों में देखने को मिल सकता है। कारण, बनबसा बैराज के जरिए शारदा नदी में लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है तो वहीं नेपाली नदियों सुहेली, कर्णाली के जरिए भी बड़े पैमाने पर पानी तराई में बाढ़ की विभीषिका लाता है।
जनपद की तीन तहसीलों में सबसे ज्यादा बाढ़-कटान से फसलों, जंगल, सड़कों समेत सार्वजनिक स्थलों को नुकसान होता है। इस विभीषिका को रोकने के लिए अभी तक स्थायी समाधान नहीं खोजा जा सका है। सिर्फ नदियों के किनारे कटान रोधी कार्य कराकर बाढ़ को रोकने की कवायद होती है, जिस पर करोड़ों रुपये बजट खर्च होता है। फिर भी नदियों के प्रचंड वेग से उत्पन्न बाढ़-कटान के आगे इंतजाम धरे रह जाते हैं।

पिछले वर्ष बाढ़-कटान की जद में आकर कई गांव नदी में समा गए थे। इस बार भी बाढ़ की रोकथाम के लिए करोड़ों रुपये खर्च करके काम कराए गए हैं। अब इससे बाढ़ व कटान को रोकने में कितनी सफलता मिलती है, इसका आकलन भी जल्द हो जाएगा। पलिया, निघासन, धौरहरा के अलावा लखीमपुर और गोला तहसील भी आंशिक रूप से बाढ़ से प्रभावित होती है।
छोटी नाव का संचालन बंद, बड़ी नावें लाल झंडी लगाकर चलेंगी
डीएम डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया ने कहा कि सभी एसडीएम नदियों के जल स्तर पर निगाह रखकर आवश्यकतानुसार कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। बाढ़ चौकी व बाढ़ राहत केंद्र की स्थापना कर उनमें स्टाफ की ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए हैं। इसमें बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित कराई जाएं। बाढ़ राहत शिविर में एसओपी अनुसार सभी मुकम्मल इंतजाम कराएं। बाढ़ के दौरान छोटी नाव का संचालन पूर्णतया प्रतिबंधित रहेगा। वहीं जो नावें चलेंगी उनमें लाल झंडी लगेगी, जो नाव मरम्मत योग्य है, उसकी तत्काल मरम्मत कराने के निर्देश दिए हैं। 15 जून तक बाढ़ का कंट्रोल रूम प्रत्येक तहसील में क्रियाशील किया जाए।