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Lakhimpur Kheri :ब्लैक फंगस : एक-एक दिन जिंदगी पर भारी, अफसर कहते हैं अभी और रुको

कई दिनों बाद भी स्वास्थ्य विभाग नहीं मंगा पाया एंटी फंगल इंजेक्शन, शहर के अस्पतालों में भर्ती हैं 55 से ज्यादा मरीज

बरेली। कोरोना से तो जैसे-तैसे उबर गए लेकिन तमाम लोगों के जीवन पर अब ब्लैक फंगस बड़ा संकट बन गया है। मुसीबत यह है कि उनके इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग में एंटी फंगल इंजेक्शन भी उपलब्ध नहीं है। डॉक्टरों के मुताबिक अस्पतालों में भर्ती इन मरीजों के जिंदगी पर एक-एक दिन भारी पड़ रहा है लेकिन फिर भी एंटी फंगल इंजेक्शन के सवाल पर स्वास्थ्य विभाग के अफसर पांच दिनों से एक ही जवाब दे रहे हैं, अभी थोड़ा और इंतजार करिए।

स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक बरेली के अलग-अलग अस्पतालों में ब्लैक फंगस से संक्रमित 55 लोगों का इस समय इलाज चल रहा है। इनमें से 24 बरेली के हैं, बाकी 31 रोगी बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर जिलों के हैं। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए एंटीफंगल इंजेक्शन लिप्सोमल एम्फीटेरेसिन-बी इस्तेमाल किया जाता है जो बाजार में उपलब्ध नहीं है। प्रदेश सरकार प्रत्येक जिले को मेडिकल कॉरपोरेशन के जरिए इंजेक्शन का निर्धारित मूल्य अदा करने पर उपलब्ध करा रही है लेकिन स्वास्थ्य विभाग में भी कई दिनों से इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हैं। पांच दिन से लगातार अफसर यह इंजेक्शन एक या दो दिन में मिलने की बात कह रहे हैं। चूंकि ब्लैक फंगस का संक्रमण तेजी से फैलता है लिहाजा इंजेक्शन न मिलने से रोगियों की जिंदगी के लिए संकट बढ़ता जा रहा है। कुछ मरीज इलाज के लिए दिल्ली चले गए हैं।

तीन दिन पहले एसआरएमएस को मिले थे 15 इंजेक्शन

तीन दिन पहले शासन ने एसआरएमएस में भर्ती ब्लैक फंगस पीड़ितों के लिए 15 इंजेक्शन अलग से भेजे थे, लेकिन एडी हेल्थ कार्यालय को इंजेक्शन नहीं भेजे गए। लिहाजा दूसरे अस्पतालों में भर्ती मरीजों को इंजेक्शन नहीं मिल सके। इससे उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है।

इलाज में देरी से बढ़ जाता है संक्रमण

न्यूरो फिजीशियन डॉ. राम सिंह कुशवाहा बताते हैं कि ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज दो से चार महीने तक चलता है। रोग की समय पर पड़ताल हो और एंटीफंगल इंजेक्शन भी निश्चित मात्रा में लगाए जाएं तो मरीज की हालत गंभीर होने से बच जाती है। इंजेक्शन मिलने में देरी होने से संक्रमण का फैलाव बढ़ता जाता है।

बाजार में मौजूद दूसरा इंजेक्शन किडनी को करता है प्रभावित

डॉ. विमल भारद्वाज ने बताया कि एम्फीटेरेसिन-बी के नाम से इंजेक्शन के कई विकल्प बाजार में मौजूद हैं। इनमें से लिप्सोमल नाम से मिलने वाला इंजेक्शन ही सबसे बेहतर है। अन्य इंजेक्शन भी फंगस को खत्म करते हैं लेकिन उनका असर बेहद धीमा होता है। साथ ही, मरीज की किडनी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

इंजेक्शन लेने की प्रक्रिया भी जटिल

शासन से मुहैया कराए जा रहे इंजेक्शन को लेने के लिए अस्पताल की ओर से डिमांड लेटर और ब्लैक फंगस की जांच रिपोर्ट एडी हेल्थ कार्यालय में जमा करनी होती है। बरेली में एडी हेल्थ और नगर आयुक्त की संस्तुति, जबकि दूसरे जिलों में कमिश्नर की संस्तुति जरूरी है। इसके बाद निर्धारित कीमत अदा करने पर ही इंजेक्शन मिलता है। 

मुख्यालय से ब्लैक फंगस के इंजेक्शन अब तक नहीं मिले हैं। इंजेक्शन लेने के लिए वाहन भेज दिया गया है। शुक्रवार शाम तक इंजेक्शन मिलने की उम्मीद है। - डॉ. एसपी अग्रवाल, एडी हेल्थ