‘शर्मीली’ की निगरानी के लिए पांच और कैमरे बढ़ाए
बांकेगंज। बरेली से लाकर बाघिन ‘शर्मीली’ को दुधवा के जंगल में छोड़े जाने के 11 दिन बाद भी उसकी एक भी तस्वीर किसी कैमरे में कैद नहीं हुई है, जबकि कैमरों के आसपास उसके पगचिह्न लगातार मिल रहे हैं। बाघिन पर निगरानी बढ़ाने के लिए पांच कैमरे और बढ़ा दिए गए हैं। यहां बता दें कि इससे पहले बाघिन की निगरानी के लिए दस कैमरे लगाए गए थे।
तीन दिन पहले दुधवा नेशनल पार्क के चंदन चौकी वन क्षेत्र में एक बाघ चलते राहगीरों पर हमले की कोशिश कर रहा था। कई बार वह रास्ते में आकर खड़ा हो जाता था। इससे वनाधिकारियों को आशंका हुई कि कहीं यह हरकत बाघिन शर्मीली की तो नहीं है। हालांकि अब तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। फिर भी राहगीरों की सुरक्षा के मद्देनजर और शर्मीली पर नजर बनाए रखने के लिए दुधवा प्रशासन ने पांच और कैमरे लगाए हैं।
किशनपुर सेंक्चुरी से भाग कर बरेली में बंद पड़ी रबर फैक्ट्री में पहुंची यह बाघिन वहां भी कैमरे की नजर से हमेशा बचती रही थी। इस कारण इसकी लोकेशन पता करने में वन विभाग को करीब सवा साल लग गया। कैमरे से नजरें चुराने के कारण ही वनाधिकारियों ने इसका नाम शर्मीली रखा था। अपने नाम और स्वभाव के अनुसार यह दुधवा में भी कैमरे के सामने आने से कतरा रही है। बाघिन की निगरानी कर रही वन कर्मियों की टीम को 5 से 10 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में शर्मीली के पगचिन्ह लगातार दिखाई पड़ रहे हैं। इसके अलावा संबंधित वन क्षेत्र के वॉटरहोलों पर भी शर्मीली के ताजे पगचिन्ह मिल रहे हैं।
शर्मीली अब तक किसी कैमरे के सामने नहीं आई है। अब उसकी निगरानी बढ़ाने के लिए पांच और कैमरे लगाए गए हैं। हालांकि बाघिन के पगचिन्ह लगातार मिल रहे हैं, जिससे उसकी लोकेशन का पता चल रहा है।
- मनोज सोनकर, वन संरक्षक/ प्रभारी उपनिदेशक, दुधवा नेशनल पार्क
तीन दिन पहले दुधवा नेशनल पार्क के चंदन चौकी वन क्षेत्र में एक बाघ चलते राहगीरों पर हमले की कोशिश कर रहा था। कई बार वह रास्ते में आकर खड़ा हो जाता था। इससे वनाधिकारियों को आशंका हुई कि कहीं यह हरकत बाघिन शर्मीली की तो नहीं है। हालांकि अब तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। फिर भी राहगीरों की सुरक्षा के मद्देनजर और शर्मीली पर नजर बनाए रखने के लिए दुधवा प्रशासन ने पांच और कैमरे लगाए हैं।
किशनपुर सेंक्चुरी से भाग कर बरेली में बंद पड़ी रबर फैक्ट्री में पहुंची यह बाघिन वहां भी कैमरे की नजर से हमेशा बचती रही थी। इस कारण इसकी लोकेशन पता करने में वन विभाग को करीब सवा साल लग गया। कैमरे से नजरें चुराने के कारण ही वनाधिकारियों ने इसका नाम शर्मीली रखा था। अपने नाम और स्वभाव के अनुसार यह दुधवा में भी कैमरे के सामने आने से कतरा रही है। बाघिन की निगरानी कर रही वन कर्मियों की टीम को 5 से 10 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में शर्मीली के पगचिन्ह लगातार दिखाई पड़ रहे हैं। इसके अलावा संबंधित वन क्षेत्र के वॉटरहोलों पर भी शर्मीली के ताजे पगचिन्ह मिल रहे हैं।
शर्मीली अब तक किसी कैमरे के सामने नहीं आई है। अब उसकी निगरानी बढ़ाने के लिए पांच और कैमरे लगाए गए हैं। हालांकि बाघिन के पगचिन्ह लगातार मिल रहे हैं, जिससे उसकी लोकेशन का पता चल रहा है।
- मनोज सोनकर, वन संरक्षक/ प्रभारी उपनिदेशक, दुधवा नेशनल पार्क