2005 के बाद सत्ता परिवर्तन के साथ बेदखल होते रहे जिपं अध्यक्ष
बंशीधर राज और लीला देवी ही पांच वर्ष तक संभाल पाईं कुर्सी
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लखीमपुर खीरी। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए सियासी जोड़-तोड़ जारी है। खास बात यह है कि वर्ष 2005 के बाद से कोई अध्यक्ष अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। वर्ष 2000 से 2005 तक लीला देवी और उनसे पहले बंशीधर राज ने 1995 से 2000 तक अपना अध्यक्ष पद पर कार्यकाल पूरा किया था। इसके बाद तो प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष बेदखल और बदलते रहे हैं।
2005 से 2006 तक तत्कालीन डीएम ने बतौर प्रशासक जिला पंचायत अध्यक्ष पद के दायित्वों को संभाला था। इसके बाद अध्यक्ष ताश के पत्तों की भांति फेंटे जाते रहे हैं। मसलन जिसकी सरकार आई उसने अध्यक्ष का इस्तीफा लेकर अपने कंडीडेट को अध्यक्ष बना लिया। 2006 में गोला के विधायक अरविंद गिरि ने अपने भाई की पत्नी अनीता गिरि को अध्यक्ष बनाया था, जिन्हें प्रदेश में सरकार बदलने पर 20 जुलाई 2010 को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। फिर बसपा ने अनूप कुमार वर्मा को अध्यक्ष बनाया था, जिनका कार्यकाल नौ अगस्त 2010 से 13 जनवरी 2011 तक रहा। फिर 14 जनवरी 2011 से 16 अक्तूूबर 2012 तक पूर्व राज्यसभा सदस्य जुगुल किशोर की पत्नी दमयंती किशोर अध्यक्ष रहीं। 2012 में सपा सरकार बनते ही दमयंती किशोर को अध्यक्ष पद से त्याग पत्र देना पड़ा था और कमल पाल की अगुवाई में त्रिस्तरीय समिति ने 17 अक्तूबर से 2012 से तीन फरवरी 2013 तक कार्यभार संभाला। इसके बाद कमल पाल का चार फरवरी 2013 से 13 जनवरी 2016 तक कार्यकाल रहा। 14 जनवरी 2016 से 26 जून 2017 तक बंशीधर ने बतौर जिला पंचायत अध्यक्ष काम किया, क्योंकि इस बीच 2017 में प्रदेश की सत्ता बदल चुकी थी। इसलिए बंशीधर राज को भी इस्तीफा देना पड़ा था। अगले अध्यक्ष के चुनाव होने क तत्कालीन डीएम आकाश दीप ने बतौर प्रशासक दायित्व 28 जून 2017 से 25 अगस्त 2017 तक संभाला। इसके बाद भाजपा समर्थित सुमन नरेंद्र सिंह 26 अगस्त 2017 को अध्यक्ष बनीं। उनका कार्यकाल 13 जनवरी 2021 को समाप्त हुआ था। इसके बाद से डीएम बतौर प्रशासक अध्यक्ष पद के दायित्वों को निभा रहे हैं।
नए अध्यक्ष के लिए 11 दिन का इंतजार
अब नए जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला है। दोनों दलों के नेता जिला पंचायत सदस्यों को अपने खेमे में ले जाने में जुटे हैं। 26 जून 2021 को नामांकन दाखिल किए जाएंगे, जिसके बाद तीन जुलाई को मतदान के बाद मतगणना कराई जाएगी। भाजपा ने अभी तक अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है, लेकिन संभावित उम्मीदवार बहुमत का आंकड़ा जुटाने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं।