Lakhimpur Kheri : सत्ता के क्वार्टर फाइनल में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक, निर्दलियों ने बाजी मारी
लखीमपुर खीरी। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा समर्थित 72 उम्मीदवारों में 65 उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा। मतदाताओं ने दलगत राजनीति से इतर निर्दलियों में विश्वास जताया। सपा समर्थित 14 और बसपा समर्थित नौ उम्मीवार ही जीत पाए। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत के लिए 37 सदस्यों का बहुमत होना जरूरी है, जो किसी भी दल के पास नहीं है। ऐसे में जिले की सरकार बनाने में निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका अहम होगी।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस पद को लेकर सत्तारूढ़ दल का दावा हमेशा से मजबूत रहा है। चाहे बहुुमत हो या न हो, लेकिन सत्ता के बल पर अध्यक्ष पद की कुुर्सी हथियाने की परंपरा काफी पुरानी है। भाजपा ने पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर अपना दावा मजबूत करने के लिए सभी 72 सीटों पर समर्थित प्रत्याशी उतारे थे। वहीं बसपा ने 45 और सपा ने भी करीब 50 सीटों पर समर्थित उम्मीदवार उतारे थे। भाजपा में टिकट न मिलने से कई बागी उम्मीदवार भी मैदान में आ डटे थे, जिसमें पांच सीटों पर बागियों ने जीत दर्ज की है। वहीं कई अन्य सीटों पर बागियों ने भाजपा की जीत का गणित ही बिगाड़ दिया। तो कुछ सीटों पर भितरघात का भी असर रहा, जिससे भाजपा प्रत्याशियों को अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पाई। जबकि जनपद की आठों विधानसभा और दो लोकसभा क्षेत्रों पर भाजपा के विधायक और सांसद हैं। ऐसे में जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में करारी हार से कहीं न कहीं भाजपा विधायकों और सांसदों की लोकप्रियता कम होने के संकेत मिल रहे हैं। बेहजम चतुर्थ से सपा प्रत्याशी सोनम राज ने भाजपा समर्थत प्रत्याशी शशी बाला को 4400 वोटों से हरा दिया है। शशी बाला को भाजपा की तरफ से जिला पंचायत अध्यक्ष के तौर पर देखा जा रहा था।
कई ब्लॉकों में खाता तक नहीं खुला
जिला पंचायत सदस्य पदों की 72 में से सात सीटों पर ही भाजपा उम्मीदवार जीत सके हैं, जिससे जाहिर है कि कई ब्लॉकों में भाजपा का खाता तक नहीं खुल सका। फूलबेहड़, कुंभी, पसगवां, बेहजम, लखीमपुर, ईसानगर, धौरहरा ब्लॉकों में एक भी उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं करा सका। हालांकि पसगवां ब्लॉक में तीन बागी उम्मीदवारों ने भाजपा प्रत्याशियों को धूल चटाई है।
निवर्तमान प्रमुख और पूर्व विधायक भी हारीं
जिला पंचायत सदस्य पद पर भाजपा ने मितौली ब्लॉक के निवर्तमान प्रमुख राजीव वर्मा को मितौली तृतीय से उतारा था, जबकि पैला से पूर्व विधायक शशिबाला भारती को बेहजम चतुर्थ सीट से प्रत्याशी बनाया था। यह दोनों प्रत्याशी चुनाव हार गए हैं।
प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही अध्यक्ष बदलने की रही परंपरा
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के महत्वपूर्ण होने का इसी बात से अंदाजा लगता है कि प्रदेश में जिस दल की सरकार रहती है, उसी का अध्यक्ष भी बनता है। यदि अध्यक्ष के कार्यकाल के बीच में सरकार बदलती है, तो उसके साथ ही अध्यक्ष का बदलना भी तय हो जाता है। 2015 के पंचायत चुनाव में प्रदेश में सपा सरकार थी, जिससे बंशीधर राज अध्यक्ष बने थे। 2017 में भाजपा की सरकार बनी, तो बंशीधर राज को इस्तीफा देना पड़ा और भाजपा ने सुमन नरेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाया था। इससे पहले 2010 में पंचायत चुनाव के समय बसपा की सरकार थी, तो तत्कालीन बसपा नेता जुगुल किशोर ने अपनी पत्नी दमयंती किशोर को अध्यक्ष बनाया था। 2012 में सपा की सरकार बनी, तो दमयंती किशोर को इस्तीफा देना पड़ा था, जिसके बाद सपा ने अनूप कुमार को अध्यक्ष बनाया था। इससे पहले की सरकारों में भी अध्यक्ष पद को लेकर घमासान चलता रहा।
72 सीटों में से सात अधिकृत उम्मीदवार जीते हैं, जबकि कई सीटों पर बागी उम्मीदवार जीते हैं। अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा के लिए कार्यकारिणी द्वारा निर्णय लिया जाएगा। हार के कारणों की समीक्षा की जा रही है। निर्दलीयों से समर्थन लेकर भाजपा का अध्यक्ष बनाया जाएगा। - दिनेश तिवारी, जिला प्रभारी, भाजपा
बसपा ने 45 उम्मीदवार जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए उतारे थे और कुछ को बाहर से ही समर्थन दिया गया था। इससे कुल 19 बसपा समर्थित उम्मीदवार जीते हैं। अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के लिए हाईकमान ही कोई निर्णय लेगा। - उमाशंकर गौतम, जिलाध्यक्ष, बसपा
जिन सीटों पर निर्दलीय जीते हैं, उसमें भी कई सपा से जुड़े हुए हैं। इस तरह हमारे पास 24 सीटों की संख्या है। हमने बढ़त हासिल की है। - रामपाल यादव, जिलाध्यक्ष सपा
जिला पंचायत अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस पद को लेकर सत्तारूढ़ दल का दावा हमेशा से मजबूत रहा है। चाहे बहुुमत हो या न हो, लेकिन सत्ता के बल पर अध्यक्ष पद की कुुर्सी हथियाने की परंपरा काफी पुरानी है। भाजपा ने पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर अपना दावा मजबूत करने के लिए सभी 72 सीटों पर समर्थित प्रत्याशी उतारे थे। वहीं बसपा ने 45 और सपा ने भी करीब 50 सीटों पर समर्थित उम्मीदवार उतारे थे। भाजपा में टिकट न मिलने से कई बागी उम्मीदवार भी मैदान में आ डटे थे, जिसमें पांच सीटों पर बागियों ने जीत दर्ज की है। वहीं कई अन्य सीटों पर बागियों ने भाजपा की जीत का गणित ही बिगाड़ दिया। तो कुछ सीटों पर भितरघात का भी असर रहा, जिससे भाजपा प्रत्याशियों को अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पाई। जबकि जनपद की आठों विधानसभा और दो लोकसभा क्षेत्रों पर भाजपा के विधायक और सांसद हैं। ऐसे में जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में करारी हार से कहीं न कहीं भाजपा विधायकों और सांसदों की लोकप्रियता कम होने के संकेत मिल रहे हैं। बेहजम चतुर्थ से सपा प्रत्याशी सोनम राज ने भाजपा समर्थत प्रत्याशी शशी बाला को 4400 वोटों से हरा दिया है। शशी बाला को भाजपा की तरफ से जिला पंचायत अध्यक्ष के तौर पर देखा जा रहा था।
कई ब्लॉकों में खाता तक नहीं खुला
जिला पंचायत सदस्य पदों की 72 में से सात सीटों पर ही भाजपा उम्मीदवार जीत सके हैं, जिससे जाहिर है कि कई ब्लॉकों में भाजपा का खाता तक नहीं खुल सका। फूलबेहड़, कुंभी, पसगवां, बेहजम, लखीमपुर, ईसानगर, धौरहरा ब्लॉकों में एक भी उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं करा सका। हालांकि पसगवां ब्लॉक में तीन बागी उम्मीदवारों ने भाजपा प्रत्याशियों को धूल चटाई है।
निवर्तमान प्रमुख और पूर्व विधायक भी हारीं
जिला पंचायत सदस्य पद पर भाजपा ने मितौली ब्लॉक के निवर्तमान प्रमुख राजीव वर्मा को मितौली तृतीय से उतारा था, जबकि पैला से पूर्व विधायक शशिबाला भारती को बेहजम चतुर्थ सीट से प्रत्याशी बनाया था। यह दोनों प्रत्याशी चुनाव हार गए हैं।
प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही अध्यक्ष बदलने की रही परंपरा
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के महत्वपूर्ण होने का इसी बात से अंदाजा लगता है कि प्रदेश में जिस दल की सरकार रहती है, उसी का अध्यक्ष भी बनता है। यदि अध्यक्ष के कार्यकाल के बीच में सरकार बदलती है, तो उसके साथ ही अध्यक्ष का बदलना भी तय हो जाता है। 2015 के पंचायत चुनाव में प्रदेश में सपा सरकार थी, जिससे बंशीधर राज अध्यक्ष बने थे। 2017 में भाजपा की सरकार बनी, तो बंशीधर राज को इस्तीफा देना पड़ा और भाजपा ने सुमन नरेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाया था। इससे पहले 2010 में पंचायत चुनाव के समय बसपा की सरकार थी, तो तत्कालीन बसपा नेता जुगुल किशोर ने अपनी पत्नी दमयंती किशोर को अध्यक्ष बनाया था। 2012 में सपा की सरकार बनी, तो दमयंती किशोर को इस्तीफा देना पड़ा था, जिसके बाद सपा ने अनूप कुमार को अध्यक्ष बनाया था। इससे पहले की सरकारों में भी अध्यक्ष पद को लेकर घमासान चलता रहा।
बसपा ने 45 उम्मीदवार जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए उतारे थे और कुछ को बाहर से ही समर्थन दिया गया था। इससे कुल 19 बसपा समर्थित उम्मीदवार जीते हैं। अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने के लिए हाईकमान ही कोई निर्णय लेगा। - उमाशंकर गौतम, जिलाध्यक्ष, बसपा
जिन सीटों पर निर्दलीय जीते हैं, उसमें भी कई सपा से जुड़े हुए हैं। इस तरह हमारे पास 24 सीटों की संख्या है। हमने बढ़त हासिल की है। - रामपाल यादव, जिलाध्यक्ष सपा