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Lakhimpur Kheri :अब गांवों में बढ़ने लगा संक्रमण, कैसे करेंगे काबू

Covid-19 Cause We Are Working slowly

कुंभी गोला में 1453, पलिया में 266, फूलबेहड़ में 137 एक्टिव केस
सीएचसी और पीएचसी पर संसाधन नहीं, सर्विलांस टीम और निगरानी समिति की अपनी सीमाएं
लखीमपुर खीरी। कोरोना कर्फ्यू से पहले जहां जनपद के शहरी क्षेत्र में कोरोना संक्रमण बेतहाशा बढ़ रहा था, वहीं पंचायत चुनाव और मतगणना के बाद गांवों में बढ़ने लगा है। चिंताजनक बात यह है कि जिस तरीके से गांवों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं, उसके खात्मे के लिए ग्रामीण स्तर की सीएचसी और पीएचसी जरूरी संसाधन नहीं हैं, उधर सर्विलांस टीम और निगरानी समिति की अपनी सीमाएं हैं, जिससे कोरोना संक्रमण की चेन को गांवों में तोड़ना काफी मुश्किल भरा है।
एक मई से लगाए गए कोरोना कर्फ्यू के बावजूद जनपद के 15 ब्लॉको में कुंभी गोला, पसगवां और पलिया ब्लॉक के गांवों में कोरोना संक्रमण ने तेजी से पैर पसारे हैं। कोरोना कर्फ्यू के दौरान केस घटने चाहिए थे, लेकिन इन ब्लॉकों में संक्रमण के केस बढ़े हैं। पलिया में जहां एक मई को कोरोना के 34 मामले थे, वह एक हफ्ते बाद आठ मई को बढ़कर 103 हो गए। पलिया में अभी 266 एक्टिव केस हैं। इसी तरह कुंभी गोला ब्लॉक में एक मई को जहां 10 केस थे वहां 6 मई को बढ़कर 130 हो गए। कुंभी गोला ब्लॉक में 1452 एक्टिव केस हैं।

पसगवां ब्लॉक में एक मई को जहां 12 केस थे वह 12 मई को बढ़कर 40 हो गए, जबकि फूलबेहड़ और बिजुआ ब्लॉक के गांवों में भी संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। चिंता की बात यह है कि गांवों में शहर की तरह न तो जांच की सुविधा उपलब्ध है और न ही उचित संसाधन। ऐसे में बड़ा सवाल है कि ग्रामीण इलाकों में बढ़ते संक्रमण पर लगाम कैसे लगेगी। प्रशासन ने निगरानी समितियों के जरिये डोर टू डोर सर्वे कर कोरोना के काउंटर की रणनीति बनाई है, लेकिन उसका भी ख़ास असर नहीं दिख रहा है।
गांवों में जांच नहीं, कई गवां चुके हैं जान
गोला गोकर्णनाथ। नगर के साथ अब गांव में भी कोविड-19 के संक्रमण का खतरा बढ़ने लगा है, फिर भी स्वास्थ्य महकमा लापरवाही बरत रहा है। अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 इंचार्ज के दिशा निर्देशन में हाउसहोल्ड सर्वे कराया गया, जिसमें कोरोना के लक्षण दिखने वाले 443 संदिग्ध मरीजों को कोविड-19 दवाइयों की किट वितरित की गईं। कुंभी ब्लाक के तमाम गांवों में लोग जांच के अभाव में उचित इलाज न मिलने से जान गवां चुके हैं। कई गांवों में लोग बीमार भी है।
ममरी। हैदराबाद थाना क्षेत्र में दर्जनों संदिग्ध मौतें होने से लोगों में कोरोना की दहशत फैली है। गोविंदापुर में कोरोना पॉजिटिव महिला की मौत के बाद ममरी में सात, हैदराबाद में 12, लक्ष्मीपुर में तीन, अयोध्यापुर में चार, वनबुधेली, हेमपुर में दो, हरिहरपुर में एक, ऊंचागांव में दो, जनकपुर नंबर 18 में एक, महेशपुर में चार, अहमदनगर में 14 संदिग्ध मौतें हो चुकी हैं।

संसारपुर। ग्राम पंचायत संसारपुर पंचायत में पिछले 20 दिनों में 10 लोगों की मौत हो चुकी हैं। मौठीखेड़ा में सांस लेने में दिक्कत के चलते सुनील यादव (30) पुत्र जगदीश यादव की मौत हो चुकी है। भरिगवां पंचायत में तीन लोगों की मौत हो चुकी है। ग्राम कुकुहापुर में दो लोगों की मौत हुई है। हालांकि संसारपुर में 22 और 23 अप्रैल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बांकेगंज की टीम कोविड जांच करने आई थी, जिसमें 25 लोग संक्रमित मिले थे। उसके बाद कोई भी स्वास्थ्यकर्मी गांव झांकने तक नहीं आया, जिससे पीड़ितों को दवाएं तक नहीं मिल सकीं। उनके परिवार वाले चिंतित हैं। वर्तमान में संसारपुर में सुरेश (50), शिवरतन (40), ग्राम झाला में नोखे (55), ग्राम बेलहैया में बसंती देवी (38), कोकिला (50) बुखार से पीड़ित हैं।
रेहरिया। कोविड-19 और संदिग्ध बीमारियों से क्षेत्र में काफी मौतें हुई हैं, जिससे क्षेत्र की जनता में घबराहट का माहौल बना हुआ है। लोगों की मानें तो कोई भी स्वास्थ्य कर्मी अब तक गांव में भ्रमण नहीं कर रहा है। पिपरिया धनी में एक महिला, एक पुरुष, नंदापुर गांव में दो बुजुर्गों, रामनगर गांव में एक युवक, शिवपुरी गांव में दो सगे भाई, झखरा गांव में तीन, पड़रिया में दो, पोखरापुर गांव में एक युवक की मृत्यु हो चुकी है। क्षेत्र के गांवों में दर्जनों लोग बीमार हैं। सूचना के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उदासीनता बरत रहे हैं।
पोखनापुर के गांव के उमाशंकर का कहना है कि इलेक्शन के बाद कोई भी स्वास्थ्य कर्मी गांव में नहीं आया है। गंभीर बीमारी से ग्रसित लोग या तो मोहम्मदी या शाहजहांपुर जाते हैं तो वहां भी इलाज न मिलने पर निराशा ही हाथ लगती है।
रामनगर के बलविंदर सिंह कहते हैं कि जो बीमारी चल रही है उसमें ज्यादातर लोगों की मृत्यु दम घुटने से हुई है। क्षेत्र में ऑक्सीजन की काफी कमी है। क्षेत्र में जागरूकता अभियान भी नहीं चलाया गया है, जिससे लोग भयभीत हैं।
ग्राम प्रधान सुनीता देवी ने बताया कि उन्होंने अपने स्तर से पंचायत के सातों मजरों में सैनिटाइजेशन कराया है और अपने खर्चे पर कई मरीजों का उपचार भी कराया है। स्वास्थ्य विभाग को हर पंचायत में कैंप लगाकर कोविड-19 संक्रमण की जांच और दवाइयां वितरित करनी चाहिए।
नहीं चेते स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी
रामपुर नंबर 18 के प्रधान नीरज कुमार का कहना है कि अपने स्तर से पूरी पंचायत को सैनिटाइज करा दिया गया है। उनके पंचायत के गांवों में दर्जनों लोग बीमार पड़े हैं। सूचना भी दी गई, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई भी अधिकारी अथवा डॉक्टर वहां झांकने नहीं पहुंचा है, जिससे स्थिति गंभीर होती जा रही है।
संक्रमण रोकने के लिए हो रहा हाउस होल्ड सर्वे
पीएचसी प्रभारी एवं कोविड-19 प्रभारी डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि गांव में कोविड-19 के संक्रमण फैलने के संकट को देखते हुए ब्लॉक क्षेत्र के गांव में पांच से नौ मई के बीच हाउस होल्ड सर्वे कराया गया था। मेडिकल टीम के सर्वे और परीक्षण के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में 443 कोविड-19 के संदिग्ध मरीज मिले, जिन्हें इलाज के लिए दवाई की किट वितरित की गई। उधर, 13 मई को सीएचसी में 60 कोविड-19 परीक्षण में सात और 14 मई को 44 लोगों की जांच में छह मरीज पॉजिटिव मिले हैं। इससे अनुमान है कि संक्रमण की दर कम हो रही है।
सीएचसी अधीक्षक कोरोना पॉजिटिव
कोरोना की चपेट में आकर संक्रमण काल में 24 घंटे स्वास्थ सेवा में लगे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक और स्टाफ पॉजिटिव हो रहा है। सीएससी अधीक्षक डॉ. अजय वर्मा भी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। अब सीएचसी की स्वास्थ्य व्यवस्था महज एक डॉ. एचडी गोस्वामी और संविदा चिकित्सक आकांक्षा सहित तीन फार्मासिस्ट के भरोसे रह गई है। ऐसी दशा में कोविड-19 इंचार्ज एवं पीएचसी अधीक्षक डॉ. गणेश कुमार को भी सीएचसी में सेवा देनी पड़ रही है।
पलिया क्षेत्र के गांवों में हो चुकी हैं 30 से ज्यादा मौतें
पलिया (मझगईं)। मझगईं कस्बे से लेकर आसपास के नौगवां, बेलाकलां, बबौरा, छब्बापुरवा, भगवंतनगर गुलरा, मटैहिया, कोठिया आदि गांवों में एक माह के अंदर लगभग तीस से अधिक मौतें हो चुकी हैं। सभी खांसी और बुखार से पीड़ित बताए जा रहे थे। अभी भी सैकड़ों लोग खांसी, जुकाम, बुखार से पीड़ित हैं। बावजूद इसके यहां सारी सरकारी सुविधाएं नजर नहीं आ रही हैं। संक्रमित लोग झोलाछापों का सहारा ले रहे हैं।
मझगईं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के फार्मासिस्ट जितेंद्र कुमार पटेल ने बताया कि सर्विलांस टीम का नेतृत्व उनको दिया गया था, पर नकहा कोविड अस्पताल में उनकी ड्यूटी लगाई गई है। अस्पताल में इस समय डॉक्टर के साथ ही फार्मासिस्ट भी नहीं है। यही नहीं स्वास्थ्य विभाग के पास संक्रमित लोगों का स्पष्ट डेटा तक नहीं है। इसके अलावा जिन गांवों में सर्दी, जुकाम, बुखार से पीड़ित लोगों की भरमार है। वहां भी किसी तरीके का सैनिटाइजेशन नहीं हुआ है।
भगवंतनगर गुलरा, मटैहिया गांव में कई लोग असमय काल के गाल में समा चुके हैं, मगर सैनिटाइजेशन नहीं हुआ है। कई लोग खांसी, बुखार से पीड़ित हैं, लेकिन स्वास्थ्य टीम भी आज तक गांव नहीं आई है।
- धर्मपाल चौधरी, चौखड़ा फार्म
कस्बे में करीब दस से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जो बुखार, खांसी से पीड़ित थे, लेकिन सैनिटाइजेशन नहीं कराया गया है। वहीं गांव में कोई निगरानी समिति व सर्विलांस टीम भी नहीं आती है। पीड़ित लोगों में किसी का लखीमपुर तो किसी का सीतापुर में इलाज चल रहा है।
- जकीउल्ला खां, मझगईं
मझगईं इलाके के लिए बनी रैपिड रिस्पांस टीम के अधिकतर सदस्यों की ड्यूटी नकहा कोविड अस्पताल में लगी है जिसके कारण मझगईं इलाके में टीम निष्क्रिय है। उच्चाधिकारी वैकल्पिक व्यवस्था करते हैं तो टीम फिर से सक्रिय होकर कार्य करेगी।
- डॉ. एचएन वरूण, अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पलिया