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यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की मांग- नदियों में बह रहे शव मामले की जांच हाई कोर्ट जज से हो

यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि भाजपा के जनप्रतिनिधि मंत्री लगातार अपनी ही सरकार पर कोरोना महामारी को रोकने और समुचित इलाज के लिए पत्र लिखकर सरकारी नाकामियों को उजागर कर रहे हैं लेकिन सरकार झूठ और फरेब की राजनीति कर रही है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश सरकार के कोविड प्रबंधन पर कांग्रेस लगातार सवाल उठा रही है। अब पार्टी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने मांग की है कि गंगा-यमुना में जो शव बह रहे हैं, उनकी जांच हाई कोर्ट के सिटिंग जज से कराई जाए। वहीं, विधानमंडल दल नेता आराधना मिश्रा ने कहा है कि सरकार चिकित्सा उपकरण और दवाओं से तत्काल जीएसटी हटाए।

कांग्रेस ने गुरुवार को पत्रकारों के साथ वर्चुअल वार्ता की। प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि भाजपा के जनप्रतिनिधि, मंत्री लगातार अपनी ही सरकार पर कोरोना महामारी को रोकने और समुचित इलाज के लिए पत्र लिखकर सरकारी नाकामियों को उजागर कर रहे हैं, लेकिन सरकार झूठ और फरेब की राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी को रोकने में विफल सरकार की विफलता की तस्वीर नदियों में बहते शवों को देखकर आसानी से लगाई जा सकती है। नदियों में प्रवाहित शवों के मामले की जांच उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से कराई जाए।

विधानमंडल दल नेता आराधना मिश्रा ने कहा कि सरकार चिकित्सीय उपकरणों और दवाओं पर तत्काल जीएसटी खत्म करे, जिससे आम जनता को कोरोना की इस भीषण महामारी के समय राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि गांवों की ओर बढ़ी इस भीषण महामारी से निपटने के लिए सरकार प्रदेश के हर जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ऑक्सीजन, चिकित्सक और अन्य जीवनरक्षक दवाओं एवं उपकरणों की व्यवस्था सुनिश्चित करे। सरकार सभी अस्पतालों में चिकित्सकों और पैरा मेडिकल स्टाफ का समुचित इंतजाम करे, क्योंकि तीसरी लहर विशेषकर 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए घातक मानी जा रही है।

उत्तर प्रदेश में हद से ज्यादा अमानवीयता : उत्तर प्रदेश के हालात पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने भी सरकार को घेरा है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि खबरों के अनुसार बलिया, गाजीपुर में शव नदी में बह रहे हैं और उन्नाव में नदी के किनारे सैकड़ों शवों को दफना दिया गया है। लखनऊ, गोरखपुर, झांसी, कानपुर जैसे शहरों में मौत के आंकड़े कई गुना कम करके बताए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में हद से ज्यादा अमानवीयता हो रही है। सरकार अपनी इमेज बनाने में व्यस्त है और जनता की पीड़ा असहनीय हो चुकी है। इन मामलों पर उच्च न्यायालय के न्यायधीश की निगरानी में तुरंत न्यायिक जांच होनी चाहिए।